प्रभु राम भये इष्ट हमारे…

December 17, 2017 0 comments ISMAANA Admin Categories Patrika Q4 2017

प्रभु राम भये इष्ट हमारे,

पर जीवन उन-सा न होय,

राम नाम जयघोष हमारा,

पर रामराज्य के काज न होय,

हम तो राम की वानर सेना,

अरे! वानर वेश में दानव सेना,

विवेक शून्य और मुद्रा सबल,

सत्संगी नहीं, जाहिलों का दल,

रे पगले-राम है तू रावण भी तू है,

पोसे जिसे, दिखता वैसा ही तू है,

तेरे डंडे पे राम, तेरे झंडे में राम हैं,

मन को छोड़, तेरे हर धंधे में राम हैं,

ढूंढ ले फिर भी नही मिलेंगे,

न अयोध्या ना ही काशी,

खोल रामायण वहीं राम मिलेंगे,

वो तो तुलसी छंदों के निवासी,

जगा राम को जो भीतर बसा है,

कुमति का जिसपर मैल चढ़ा है,

रगड़ निकाल मन का सारा मलिन,

तुझे तारेगा श्री राम का जिन्न,

तब वाणी मैं भी कर्मों में भी राम हो,

और मंदिर नहीं चरित्र में विराजमान हों,

खोल मन के कपाट और बन जा वानर,

भगवान स्वयं मिलेंगे तुझसे आकर।

~तुषार


About the author: Tushar Gupta self-taught writer and is passionate about Hindi poetry. He graduated from Indian School of Mines in 2012 with B.Tech in Mining Engineering and worked in the industry for a couple of years. He then graduated with Masters of Science degree from University of Alaska Fairbanks in 2016.